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पुस्तकालय अवसंरचना

पुस्तकालय – ‘एक शैक्षणिक संस्थान का हृदय’
जैसा कि भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन ने कहा था – “पुस्तकालय एक संस्थान का दिल है” ने सभी संस्थानों में एक पुस्तकालय की उपस्थिति को अपरिहार्य बना दिया है और जब एक शैक्षणिक संस्थान की बात आती है तो पुस्तकालय सीखने की प्रक्रिया के उपकरण के रूप में; बाल वाटिका से लेकर उच्च शैक्षिक संस्थानों तक एवं शोध से लेकर स्कॉलर फेज और उससे आगे तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
स्कूल पुस्तकालय का मुख्य उद्देश्य ‘छात्रों में पढ़ने की रूचि विकसित करना’ है, लेकिन एक पुस्तकालय न केवल छात्रों को एक अच्छा पाठक बनने में मदद करता है बल्कि उन्हें जीवन भर सीखने के कौशल से लैस करता है और रचनात्मकता, नवीनता, कल्पना और आलोचनात्मकता विकसित करता है जो कि उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनने में सक्षम बनाती है। पुस्तकालय, स्कूल के सभी छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को पुस्तकें और संसाधन उपलब्ध कराता है|

पुस्तकालय गतिविधियाँ